Viws.One

China’s Cybersecurity Agency Alleges US Government Stole $13 Billion In Bitcoin - TradingView

Updated Nov 12, 2025

चीन के साइबर सुरक्षा एजेंसी का आरोप: अमेरिकी सरकार ने 1300 करोड़ डॉलर का बिटकॉइन चुराया

अधिकारिक बयान और आरोप

चीन की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने आरोप लगाया है कि अमेरिका की सरकार ने गैरकानूनी तरीके से लगभग 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बिटकॉइन की चोरी की है। यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी सरकारी एजेंसियों ने डिजिटल मुद्राओं को अपने आधिकारिक खातों में स्थानांतरित कर लिया है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चोरी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई हो सकती है, और इसका मकसद विदेशी वित्तीय गतिविधियों पर नियंत्रण रखना है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सरकार ने अवैध तरीके से इन क्रिप्टोक्यूरेंसीस को अपने कब्जे में लिया।
  • यह अनुमान है कि इन बिटकॉइन का मूल्य लगभग 13 अरब डॉलर के बराबर है।
  • रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस प्रक्रिया में कई डिजिटल वॉलेट्स और लेनदेन शामिल हैं।
  • चीन की यह रिपोर्ट वाशिंगटन के उस विवादित कदम की ओर संकेत करती है जिसमें सरकारी एजेंसियां कथित रूप से डिजिटल संपत्तियों का दुरुपयोग कर रही हैं।

वास्तविकता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अभी तक, अमेरिकी सरकार ने इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। वाशिंगटन की तरफ से इस आरोप का खंडन भी नहीं हुआ है।

विश्वभर के अर्थशास्त्रियों और तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आरोप प्रमाणित करना कठिन है, क्योंकि क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रांसैक्शन आसानी से छिपाए जा सकते हैं।

भारत सहित कई देशों में भी डिजिटल मुद्राओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है, और सरकारें इस पर निगरानी बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं।

प्रभाव और संभावित परिणाम

  • यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल संपत्तियों के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
  • इसके साथ ही, सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं।
  • इस आरोप के बाद, अमेरिका और चीन के बीच डिजिटल सेंट्रलाइजेशन और सुरक्षा पर नए विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
  • आगे की जांच और अंतरराष्ट्रीय संधि इस जटिल मामले को सुलझाने का प्रयास कर सकते हैं।

यह स्थिति डिजिटल संपत्तियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करती है। दोनों देशों के बीच संबंधों, साइबर सुरक्षा और वित्तीय नीति पर भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है।